ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किसी भी वजह से मन में कोई भय हो तो शिव चालीसा का पाठ करे।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
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तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी ।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
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